जीवन सिंह शेरपुर

जीवन सिंह शेरपुर, महज़ नाम नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के युवाओं की दिलों की धड़कन हैं। रतलाम जिले के शेरपुर गांव के रहने वाले जीवन सिंह जी ने जमीनी हकीकत पर किये गए सामाजिक कार्यं, सरल व्यक्तित्व, सहज स्वभाव, समाज सेवा की निःस्वार्थ भावना और कुशल नेतृत्व से पूरे देश में अपनी अलग पहचान बनाई हैं। अन्याय, अधर्म, अनीति के खिलाफ़ आवाज़ उठाई। मध्यप्रदेश समेत आसपास के राज्यों के युवाओं को एकता के सूत्र में बांधकर एक दूसरे को सहयोग करने की भावना को मजबूती दी।
2 जुलाई 1990 को शेरपुर में जन्मे जीवन सिंह जी ने विद्यालय तक की पढ़ाई जावरा से की। उनके पिता शेर सिंह जी राठौड़ डॉक्टर थे। उनके पिता का देहांत हो गया जब वे 15 वर्ष के थे। इतनी छोटी उम्र में भी हिम्मत ना हारकर, अपने पिता के सिद्धांतों और संस्कार को अपना आदर्श बना, समाज सेवा का लक्ष्य निर्धारित कर, उसपर निरंतर आगे बढ़ने का संकल्प लिया।
राजपूत भाइयों के साथ सर्वसमाज को जोड़ते हुए व्यवस्था में परिवर्तन लाने का बीड़ा उठाया। इनकी एक आवाज़ पर लोग अपना समय , ऊर्जा, पैसा अर्थात तन, मन ,धन न्यौछावर करने को तैयार हैं क्योंकि लोगों का अटूट विश्वास हैं कि इनके नेतृत्व से, संघर्ष से एक सकारात्मक परिवर्तन आएगा। वो बदलाव आएगा जो सालों में नहीं आया। 2018 मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्ता पलट करने में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चुनाव से ठीक पहले इनके नेतृत्व में रतलाम, उज्जैन, इंदौर में लाखों के संख्या में करणी सैनिक सड़को पर उतरे, शांतिपूर्ण रूप से अपना विरोध जताया, विकास के मुद्दों को उठाया, सरकार से प्रश्न किये, परिणामस्वरूप भाजपा की सरकार गिर गई। 2020 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार से भी गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। लोगों के इनपर प्रबल विश्वास और संघर्ष की विजय हुई जब आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण लागू हुआ।

ये राजपूत समाज सहित सर्व समाज के लाखों युवाओं के रक्त में जोश और विश्वास बनकर बहते हैं। कोई यूं ही नहीं लोगों के दिलों के राजा बन जाता है, उसके लिए जमीनी लड़ाइयां लड़नी होती हैं। जो इन्होंने लड़ी हैं। युवाओं के अंतर्मन की आवाज़ बनकर उन्हें उनके अधिकारों के लिए लड़ना सिखाया। ये भष्ट्र नेताओं के द्वारा पैसे देकर जुटाई गई भीड़ का नेतृत्व नहीं करते बल्कि इनके एक इशारे पर लाखों युवा संघर्ष की अग्नि में कूदकर सर्वसमाज के अधिकारों के लिए लड़ना जानते हैं, उन युवाओं का नेतृत्व करते हैं।

बचपन से ही ये समाज सेवा के निःस्वार्थ भाव से लोगों की मदद करते आये हैं। कोरोना काल जैसी विषम परिस्थिति में जब लोगों के पास कोई मदद नहीं थी तब इन्होंने गैस सिलेंडर बाटें, लोगों की आर्थिक रूप से मदद की।

इन्होंने सर्वसमाज के लोगों के अधिकारों का विषय उठाया। समाज के हर वर्ग , हर समुदाय के व्यक्ति के विकास से जुड़ी 22 सूत्रीय मांग को लेकर 8 जनवरी 2023 भोपाल जनआंदोलन का आह्वान किया। एक शौर्य यात्रा के रूप में पूरे प्रदेश में इस जनआंदोलन का प्रचार-प्रसार किया। चप्पल त्यागकर ,नंगे पैर गांव-गांव, शहर-शहर , घर-घर जाकर लोगों को आमंत्रित किया। हर वर्ग के प्रतिभाशाली और योग्य युवा को उसका अधिकार दिलाने, युवाओं की बेरोजगारी को खत्म करने , किसानों को उनकी लागत के सही दाम दिलवाने, समाज के हर वर्ग की बेटियों के मान-सम्मान से जुड़े, भारत के गौरवशाली इतिहास के संरक्षण करने जैसे अनेकानेक वास्तविक मुद्दों को अपनी मांग बनाकर युवाओं की आवाज़ बने। 8 जनवरी को लाखों करनी सैनिक मध्यप्रदेश के कोने-कोने समेत उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचलप्रदेश, महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों से जम्बूरी मैदान भोपाल में उपस्थित हुए।
7 जनवरी शाम से भोजन त्यागकर अनशन पर रहे। शांतिपूर्ण रूप से अपने युवा साथियों का हक मांगा सरकार से। सरकार द्वारा परेशान करने पर और अन्य विषम परिस्थितियों के बावजूद भी यह टस से मस नहीं हुए । 9 जनवरी से 11 जनवरी तक भोपाल के गांधी चौराहे पर ही इनके नेतृत्व में हजारों करणी सैनिक सड़क पर पूरे जोश और संयम के साथ संघर्षरत रहे। परिणामस्वरूप सरकार को झुकना पड़ा, उसके पश्यात ही 11 जनवरी रात को इन्होंने अनशन तोड़ा।
युवाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जनसैलाब को सही दिशा दी। अनीति के खिलाफ़ आवाज़ उठाना सिखाया। आज युवाओं की प्रेरणा के रूप में नया नाम बनकर उभरे है जीवन सिंह शेरपुर। सर्वसमाज के लिए नंगे पैर घुमा, अन्न का त्याग किया।
अपने सरल, सहज, सौम्य व्यक्तित्व से इन्होंने न सिर्फ हर करनी सैनिक अपितु सर्व समाज के ह्रदय में विशिष्ट स्थान बनाया हैं।

 

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